Principal's Desk
Principal, Sri Shiva Degree College
Prof. Sant Kumar Yadav
M.A. Gold Medal, NET, Ph.D.
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
जो देवी (श्री शिवा देवी) सभी प्राणियों में शक्ति रूप में स्थित है उसे अनेक प्रणाम है | प्राणियों में निहित शुद्ध शक्ति ही श्री शिवा देवी है उसी शक्ति की आराधना की जाती है जो हमारे ज्ञान व बुद्धि की शक्ति की स्त्रोत है |
शिक्षा जगत में आजमगढ़ जनपद अपने अतीत व वर्तमान गौरव के लिए सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रसिद्ध है। आजमगढ़ नगर से पश्चिम फैजाबाद (साकेत) लखनऊ एवं दिल्ली जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग के दक्षिण में 18 किमी पर श्री शिवा महाविद्यालय तेरही, आजमगढ़ का भवन स्थित है । महाविद्यालय के चतुर्दिक उत्तुंग यूक्लिप्टस नील हरित पर्णोंछन्न गुल मोहर, मोहक मौलिश्री, अशोक नीम, तथा शीशम की सघन वृक्षावली है जो उसे प्रशान्त आश्रम का रूप प्रदान करती है नगर कोलाहल से दुर यह विद्या मन्दिर 'तद्धिद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया' का प्रतीक बन गया है कप्तानगंज उपनगर के निकटस्थ यह महाविद्यालय ग्रामांचल का एक विशिष्ट विद्या संस्थान है जहाँ अध्ययन अध्यापन कार्य सुचारू रूप से चलता है। महाविद्यालय आज के युवा वर्ग को देश के विकास में समाज सापेक्ष बनाने का प्रयास करता है। महाविद्यालय के अधिसंख्य प्राध्यापक प्रथम श्रेणी एम०ए० उपाधि से अलंकृत तथा अपने विषय के स्वर्ण पदक विजेता है ऐसे सुयोग्य प्राध्यापकों से विद्या अध्ययन करना अपने आप में गौरव की बात है। यह महाविद्यालय राजकीय अनुरक्षण अनुदान से गौरवान्वित है।
महाविद्यालय के अनेक आयामी विकास के लिए महाविद्यालय परिवार सचेष्ट है। सत्र 2005-2006 से ही अर्थशास्त्र एवं प्राचीन इतिहास विषय में स्नातकोत्तर कक्षायें संचालित हैं। राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय को अध्ययन केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई है, इस अंचल की युवा पीढ़ी के प्रति न केवल हमारी आस्था है, बल्कि दायित्वबोध भी है। उनको प्रेरणा प्रदान करने हेतु महाविद्यालय प्रांगण में अनेक देश भक्तों की मूर्तियां स्थापित की गई है उनके उज्जवल भविष्य के प्रति हम आश्वस्त है । हमारी कामना है कि जनपद की नवोदित प्रतिभाएँ महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य 'तेजस्विनावधीतमस्तु' तथा उच्च शिक्षा के महत्तर लक्ष्य उत्कृष्ट व्यक्तित्व का विकास' के अनुरूप अपने को सन्नद्ध कर सरस्वती के पावन मन्दिर में ज्ञान में स्नात होकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर की उपाधि को सार्थक बनाने के महायज्ञ में अपना योगदान दें।